गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) : सम्पूर्ण जानकारी (भौगोलिक विस्तार, खोज और उत्खनन, प्रमुख नगर और उनकी विशेषताएँ etc.) for COMPETITIVE EXAMS UPSC, SSC, UPPSC, RRB etc.

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर व विशेषताएँ हिंदी में, प्रतियोगी परीक्षाओं व छात्रों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

🔹 परिचय

भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) सबसे प्रमुख और अद्भुत मानी जाती है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रही और इसे अक्सर हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। यह दुनिया की सबसे पुरानी नगरीय सभ्यताओं (Urban Civilizations) में से एक थी।

विश्व की चार प्राचीनतम सभ्यताओं में –

  1. मिस्र (Egypt)

  2. मेसोपोटामिया (Mesopotamia)

  3. चीन (China)

  4. सिंधु घाटी (Indus Valley)
    का नाम आता है।

इनमें से सिंधु घाटी सभ्यता ने उन्नत नगर योजना, जल निकासी व्यवस्था, व्यापार, धर्म और कला के माध्यम से एक ऐसी पहचान बनाई, जो आज भी आश्चर्यजनक है।


🔹 खोज और उत्खनन (Discovery & Excavation)

  • 1921 ई. – हड़प्पा स्थल (पंजाब, अब पाकिस्तान) से प्रथम खोज।

  • 1922 ई. – मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) से महान उत्खनन।

  • प्रमुख खोजकर्ता – दयाराम साहनी (हड़प्पा) और राखालदास बनर्जी (मोहनजोदड़ो)।

  • बाद में जॉन मार्शल, एस. आर. राव, बिष्ट, अमलानंद घोष आदि ने उत्खनन कार्य को आगे बढ़ाया।

भारत में प्रमुख स्थल – धोलावीरा (गुजरात), लोथल (गुजरात), राखीगढ़ी (हरियाणा), कालीबंगन (राजस्थान), बनवाली (हरियाणा), आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)


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🔹 भौगोलिक विस्तार

सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्र बहुत विस्तृत था –

  • उत्तर – मांड और रोपर (जम्मू–कश्मीर, पंजाब)।

  • दक्षिण – दाइमाबाद (महाराष्ट्र)।

  • पश्चिम – सोत्कागेंदोर (बलूचिस्तान, अफगानिस्तान सीमा)।

  • पूर्व – आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)।

👉 कुल क्षेत्रफल लगभग 12.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था।


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🔹 नगर योजना (Town Planning)

सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी इसकी संगठित नगर योजना

  1. नगर ग्रिड सिस्टम पर बनाए जाते थे।

  2. सड़कें एक-दूसरे को सीधी कोण (Right Angle) पर काटती थीं।

  3. घर पकी हुई ईंटों से बने होते थे।

  4. प्रत्येक घर में नलियाँ और नालियाँ (Drains) जुड़ी होती थीं।

  5. सार्वजनिक भवन जैसे महान स्नानागार, अनाजागार, किला इत्यादि मौजूद थे।

  6. जल निकासी व्यवस्था आज की आधुनिक व्यवस्था से भी उन्नत कही जाती है।


    🏙️ प्रमुख नगर और उनकी विशेषताएँ

    सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) में अब तक 1500 से अधिक स्थल मिले हैं। इनमें से कुछ नगर बहुत बड़े और महत्वपूर्ण थे। प्रत्येक नगर की अपनी विशेष पहचान और विशेषताएँ थीं।


    1. हड़प्पा (Harappa – पंजाब, पाकिस्तान)

  • खोजकर्ता: दयाराम साहनी (1921 ई.)

  • यहाँ से सबसे पहले इस सभ्यता के अवशेष मिले, इसलिए पूरी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।

  • विशेषताएँ:
    • यहाँ से अनाजागार (Granary) मिला।

    • माप-तौल के पत्थर और तौलने के बाट मिले।

    • यहाँ से कंकाल और मनके बनाने के प्रमाण।

    • यहाँ से “अलंकृत मिट्टी के बर्तन” मिले।


2. मोहनजोदड़ो (Mohenjo-daro – सिंध, पाकिस्तान)

  • खोजकर्ता: राखालदास बनर्जी (1922 ई.)

  • अर्थ – “मृतकों का टीला”।

  • विशेषताएँ:

    • यहाँ से महान स्नानागार (Great Bath) मिला, जो सार्वजनिक स्नान के लिए प्रयोग होता था।

    • “नर्तकी की प्रतिमा” (कांस्य की मूर्ति) और “पुरोहित राजा की मूर्ति” मिली।

    • यहाँ भी विशाल अनाजागार मिला।

    • यहाँ की सड़कों का जाल बहुत व्यवस्थित था।


3. लोथल (Lothal – गुजरात, भारत)

  • खोजकर्ता: एस. आर. राव (1954 ई.)

  • लोथल का अर्थ है – “मृतकों का टीला”।

  • विशेषताएँ:

    • यहाँ बंदरगाह (Dockyard) मिला, जो प्राचीनतम बंदरगाह माना जाता है।

    • मनके, गहने और हाथी दाँत की वस्तुएँ बनाने का प्रमुख केंद्र।

    • यहाँ से अग्नि वेदी भी मिली।


4. कालीबंगन (Kalibangan – राजस्थान, भारत)

  • खोजकर्ता: 1953 ई.

  • नाम का अर्थ – “काले रंग की चूड़ियाँ”।

  • विशेषताएँ:

    • यहाँ हल से जोते गए खेतों के प्रमाण मिले।

    • अग्नि वेदियों का निर्माण।

    • नगर दो भागों में बँटा – किला और निचला नगर।


5. धोलावीरा (Dholavira – कच्छ, गुजरात, भारत)

  • खोजकर्ता: जगत पटेल (1967–68 ई.)

  • अब तक भारत का सबसे बड़ा और व्यवस्थित स्थल।

  • विशेषताएँ:

    • जल प्रबंधन की अनोखी प्रणाली।

    • नगर तीन भागों में बँटा – किला, मध्य नगर और निचला नगर।

    • यहाँ से तांबे की तलवारें और शिलालेख मिले।


6. राखीगढ़ी (Rakhigarhi – हरियाणा, भारत)

  • अब तक का सबसे बड़ा हड़प्पाई स्थल।

  • विशेषताएँ:

    • यहाँ से कंकाल, मिट्टी के बर्तन, मनके और ताम्रपात्र मिले।

    • यहाँ कपास और अनाज के दाने भी मिले।


7. बनवाली (Banawali – हरियाणा)

  • यह स्थल घग्गर नदी के किनारे।

  • विशेषताएँ:

    • यहाँ से मिट्टी के खिलौने और बर्तन मिले।

    • कृषि प्रधान नगर।

    • यहाँ से भी अग्नि वेदी मिली।


8. आलमगीरपुर (Uttar Pradesh)

  • गंगा-यमुना दोआब में।

  • विशेषताएँ:

    • यह सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल है।

    • यहाँ से लाल मृद्भांड (Painted Grey Ware) मिले।


🔹 संक्षेप में तालिका

नगर

स्थान

प्रमुख विशेषता

हड़प्पा

पंजाब (पाकिस्तान)

अनाजागार, माप-तौल

मोहनजोदड़ो

सिंध (पाकिस्तान)

महान स्नानागार, नर्तकी की प्रतिमा

लोथल

गुजरात (भारत)

बंदरगाह, मनके निर्माण

कालीबंगन

राजस्थान (भारत)

हल से जोते खेत, अग्नि वेदी

धोलावीरा

गुजरात (भारत)

जल प्रबंधन, तीन भागों वाला नगर

राखीगढ़ी

हरियाणा (भारत)

सबसे बड़ा स्थल, कंकाल, गहने

बनवाली

हरियाणा (भारत)

खिलौने, मिट्टी के बर्तन

आलमगीरपुर

उत्तर प्रदेश

सबसे पूर्वी स्थल, लाल मृद्भांड


कृषि व्यवस्था


    • मुख्य फसलें – गेहूँ, जौ, बाजरा, तिल, कपास।

    • नहर और कुओं से सिंचाई।

    • विश्व में सबसे पहले कपास की खेती का प्रमाण।

    • बैल और हल का उपयोग।


🔹 व्यापार और वाणिज्य

  • आंतरिक और बाहरी व्यापार दोनों उन्नत।

  • मेसोपोटामिया के साथ व्यापार।

  • बैलगाड़ियाँ और नावों का उपयोग।

  • मुहरों (Seals) से पहचान और व्यापारिक लेन-देन।


🔹 कला और शिल्प

  1. मूर्ति कला

    • कांस्य की "नर्तकी की प्रतिमा"।

    • "पुरोहित राजा" की मूर्ति।

  2. मिट्टी के बर्तन – लाल मिट्टी पर काले रंग की चित्रकारी।

  3. आभूषण – सोना, चाँदी, तांबा और मनकों से बने गहने।


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🔹 धर्म और आस्था

  • माता देवी (Mother Goddess) की पूजा।

  • पशुपति नाथ (प्रोटो-शिव) के प्रमाण।

  • वृक्ष पूजा (पीपल)।

  • अग्नि वेदी।


🔹 सामाजिक जीवन

  • समाज व्यवस्थित और वर्गीकृत।

  • स्त्रियाँ गहने पहनती थीं।

  • पासा खेल, नृत्य और संगीत मनोरंजन का साधन।


🔹 विज्ञान और तकनीक

  • जल प्रबंधन और नगर योजना में अद्वितीय दक्षता।

  • मानकीकृत वजन और माप।

  • धातु विज्ञान में निपुणता।


🔹 लिपि और भाषा

  • चित्रलिपि (Pictographic Script)।

  • लगभग 400 चिन्ह/संकेत।

  • अब तक इसका रहस्य पूरी तरह नहीं सुलझा।


🔹 सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

संभावित कारण –

  1. प्राकृतिक आपदाएँ (बाढ़, सूखा, भूकंप)।

  2. नदियों का मार्ग बदलना।

  3. आर्यों का आक्रमण।

  4. आर्थिक और सामाजिक संकट।


🔹 योगदान और महत्व

  • पहली नगरीय सभ्यता।

  • स्वच्छता और स्वास्थ्य का महत्व।

  • व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय संबंध।

  • धर्म, कला और संस्कृति की नींव।

     

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